पापा से चुदवा लिया मैने

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मेरी उम्र जब जवानी की हठखेलियाँ लेने लगी तब पहली बार मैंने अपने पापा को मम्मी की चुदाई करते देखा तब मेरे मन में अपने ही पापा से चुदवाने की इच्छा जाग उठी.


बेटी की गांड चुदाई

छोटी बहन की चुदाई की चाह

भाई को ललचाकर छूत मरवाई


दोस्तो मेरा नाम अंकिता है और मैं मेरे घर में सबके साथ चुदाई कर चुकी हूँ. मैं मेरे घर में और ससुराल में भी सबसे चुद चुकी हूँ. मैं पूरी 18 साल की हो चुकी हूँ और मैं औरत मर्द के रिश्ते को समझती थी. एक बार मैंने पापा को मम्मी को चोदते देखा तो इतना मज़ा आया कि रोज़ देखने लगी.

मैं पापा की चुदाई देख इतनी मस्त हुई थी कि अपने पापा को फंसाने का जाल बुनने लगी और आख़िर एक दिन कामयाबी मिल ही गई. पापा को मैंने फंसा ही लिया. अब जब भी मौक़ा मिलता, पापा की गोद में बैठ उनसे चूचियाँ दबवा दबवा मज़ा लेती. पर अभी तक केवल चूचियों को ही दबवा पाई थी, पूरा मज़ा नही लिया था.

मेरे मामा की शादी थी इसलिए मम्मी अपने मायके जा रही थी. रात में पापा ने मुझे अपनी गोद में खड़े लण्ड पे बिठाकर कहा था- बेटी कल तेरी मम्मी चली जाएगी फिर तुझे कल पूरा मज़ा देकर जवान होने का मतलब बताएँगे.

मैं पापा की बात सुन ख़ुश हो गई थी. पापा अब अपने बेडरूम की कोई ना कोई विंडो खुली रखते थे जिससे मैं पापा को मम्मी को चोदते देख सकूँ. ऐसा मैंने ही कहा था.

फिर उस रात पापा ने मम्मी को एक कुर्सी पर बिठाकर उनकी चूत को चाटकर दो बार झाड़ा और फिर 3 बार हचक कर चोदा फिर दोनो सो गए.

अगले दिन मम्मी को जाना था. आज मम्मी जा रही थी. पापा ने मेरे कमरे में आ मेरी चूचियों को पकड़कर दो तीन बार मेरे होंठ चूमे और लण्ड से चूत दबा कर कहा- तुम्हारी मम्मी को स्टेशन छोड़कर आता हूँ, फिर आज रात तुमको पूरा मज़ा दूंगा.
मैं बड़ी ख़ुश थी.

पापा चले गए तो मैं घर में अकेली रह गई. मैं अपनी चड्डी उतार पापा की वापसी का इंतज़ार कर रही थी. मैंने सोचा कि जब तक पापा नही आते अपनी चूत को पापा के लण्ड के लिए उँगली से फैला लूँ.

तभी किसी ने दरवाज़ा खटखटाया. मैंने चूत में उँगली पेलते हुए पूछा- कौन है?
‘मैं हूँ उमेश.’ उमेश का नाम सुन मैं गुदगुदी से भर गई. उमेश मेरा 20 साल का पड़ोसी था. वो मुझे बड़े दिनों से फांसना चाह रहा था पर मैं उसे लाइन नही दे रही थी.
वो रोज़ मुझे गंदे गंदे इशारे करता था और पास आ कभी कभी चूची दबा देता और कभी गांड पर हाथ फेर कहता- रानी बस एक बार चखा दो.

आज अपनी चूत में उँगली पेल मैं बेताब हो गई थी. आज उसके आने पर इतनी मस्ती छाई कि बिना चड्डी पहने ही दरवाज़ा खोल दिया.
मुझे उसके इशारों से पता चल चुका था कि वो मुझे चोदना चाहता है. आज मैं उससे चुदवाने को तैयार थी. उमेश के आने पर सोचा कि जब तक पापा नहीं आते तब तक क्यों ना इसी से एक बार चुदवाकर मजा लिया जाए. यही सोचकर दरवाजा खोल दिया.

मैंने जैसे ही दरवाजा खोला उमेश फ़ौरन अन्दर आया और मुझे देखकर खुश हो मेरी चूचियों को पकड़कर बोला- हाय रानी बड़ा अच्छा मौका है.
मैं उसकी हरकत पर सनसना गई. उसने मेरी चूचियों को छोड़कर पलटकर दरवाजा बंद कर दिया और मुझे अपनी गोद में उठा लिया और मेरी चूचियों को मसलते हुए मेरे होंठों को चूसने लगा और बोला- हाय रानी, तुम्हारी चूचियाँ तो बहुत टाइट हैं. हाय बहुत तड़पाया है तुमने, आज जरूर चोदूंगा.

‘हाय भगवान, छोड़ो पापा आ जाएंगे.’
‘डरो नहीं मेरी जान, बहुत जल्दी से चोद लूँगा. मेरा लण्ड मोटा नहीं है दर्द नहीं होगा.’
वो मेरी गांड सहला बोला- हाय, चड्डी नहीं पहनी है, यह तो बहुत अच्छा है.

मैं तो अपने पापा से चुदवाने के जुगाड़ में ही नंगी बैठी थी पर यह तो एक सुनहरा मौका मिला गया था. मैं पापा से चुदवाने के लिए पहले से ही गर्म थी.

जब उमेश मेरी चूचियों और गालों को मसलने लगा तो मैं पापा से पहले उमेश से मजा लेने को तैयार हो गई. उसकी छेड़छाड़ में मजा आ रहा था. मेरी चूत लण्ड खाने को बेताब हो गई थी. मैं अपनी कमर लचकाती बोली- हाय उमेश, जो करना हो जल्दी से कर लो, कहीं पापा ना आ जाएँ!
मैं पागल होती बोली.

तो उमेश मेरा इशारा पा कर मुझे बेड पर लिटा अपना पैंट उतारने लगा, नंगा हो बोला- रानी बड़ा मजा आएगा.’

‘तुम एकदम तैयार माल हो. देखो मेरा लण्ड छोटा है ना.’

उसने मेरा हाथ अपने लण्ड पर रखा तो मैं उसके 4 इंच के खड़े लण्ड को पकड़ मस्त हो गई. इसका तो पापा से आधा था.

मैं उसका लण्ड सहलाती बोली- हाय राम जो करना है जल्दी से कर लो.’

उमेश के लण्ड पकड़ते ही मेरा बदन तड़पने लगा. पहले मैं डर रही थी पर लण्ड पकड़ मचल उठी. मेरे कहने पर वो मेरी टांगों के बीच आया और मेरी कसी कुंवारी चूत पर अपना छोटा लण्ड रख धक्का मारा, सुपाड़ा कुछ अन्दर गया. फिर 3-4 धक्के मारकर पूरा अन्दर पेल दिया.

कुछ देर बाद उसने धीरे धीरे चोदते हुए पूछा- मेरी जान दर्द तो नहीं हो रहा है. मजा आ रहा है ना?
‘हाय, मारो धक्के, मजा आ रहा है.’

मेरी बात सुन वो तेज़ी से धक्के मारने लगा. मैं उससे चुदवाते हुए मस्त हो रही थी, उसकी चुदाई मुझे जन्नत की सैर करा रही थी. मैं नीचे से गांड उचकाती सिसयाते हुए बोली- हाय उमेश, जोर जोर से चोदो, तुम्हारा लण्ड छोटा है. जरा ताक़त से चोदो राजा.

मेरी बात सुन उमेश जोर जोर से चोदने लगा. उसका छोटा लण्ड सटासट मेरी चूत में आ जा रहा था. मैं पहली बार चुद रही थी इसलिए उमेश के छोटे लण्ड से भी बहुत मजा आ रहा था. वो इसी तरह चोदते हुए मुझे जन्नत का मजा देने लगा.
10 मिनट के बाद वो मेरी चूचियों पर लुढ़क गया और कुत्ते की तरह हांफने लगा. उसके लण्ड से गरम-गरम पानी मेरी चूत में गिरने लगा. मैं पहली बार चुदी थी और पहली बार चूत में लण्ड की मलाई गिरी थी इसलिए मजे से भर मैं उससे चिपक गई. मेरी चूत भी टपकने लगी.

कुछ देर हम लोग अलग हुए. वो कपड़े पहन कर चला गया. मेरी चूत चिपचिपा गई थी. उमेश मुझे चोद कर चला गया पर उसकी इस हिम्मत भरी हरकत से मैं मस्त थी. उसने चोदकर बता दिया कि चुदवाने में बहुत मजा है. उमेश ठीक से चोद नहीं पाया था, बस ऊपर से चूत को रगड़ कर चला गया था पर मैं जान गई थी कि चुदाई में अनोखा मजा है.

उसके जाने पर मैंने चड्डी पहन ली थी. मैं सोच रही थी कि जब उमेश के छोटे लण्ड से इतना मज़ा आया है तो पापा अपना मोटा तगड़ा लण्ड पेलेंगे तो कितना मजा आएगा.

उमेश के जाने के 6-7 मिनट बाद ही पापा स्टेशन से वापस आ गए. वो अन्दर आते ही मेरी कड़ी कड़ी चूचियों को फ्रॉक के ऊपर से पकड़ते हुए बोले- आओ बेटी, अब हम तुमको जवान होने का मतलब बताएँगे.

‘ओह पापा आपने तो कहा था कि रात को बताएँगे.’
‘अरे अब तो मम्मी चली गई हैं अब हर समय रात ही है. मम्मी के कमरे में ही आओ. क्रीम लेती आना.’ पापा मेरी चूचियों को मसलते हुए बोले.

मैं उमेश से चुदकर जान ही चुकी थी. मैं जान गई कि क्रीम का क्या होगा पर अंजान बन बोली- पापा क्रीम क्यों?
‘अरे लेकर आओ तो बताएँगे.’ पापा मेरी चूचियों को इतनी कसकर मसल रहे थे जैसे उखाड़ ही लेंगे.

मैं क्रीम और तौलिया ले मम्मी के बैडरूम में पहुँची. मैं बहुत खुश थी, जानती थी कि क्रीम क्यों मंगाई है. उमेश से चुदने के बाद क्रीम का मतलब समझ गई थी. पापा मुझे लड़की से औरत बनाने के लिए बेकरार थे. मैं भी पापा का मोटा केला खाने को तड़प रही थी.

कमरे में पहुँची तो पापा बोले- बेटी, क्रीम टेबल पर रखकर बैठ जाओ.
मैं गुदगुदाते मन से कुर्सी पर बैठ गई तो पापा मेरे पीछे आये और अपने दोनों हाथ मेरी कड़ी चूचियों पर लाये और दोनों को प्यार से दबाने लगे.

पापा के हाथ से चूचियों को दबवाने में बड़ा मजा आ रहा था. तभी पापा ने अपने हाथ को गले की ऊपर से फ्रॉक के अन्दर ड़ाल दिया और नंगी चूचियों को दबाने लगे. मैं फ्रॉक के नीचे कुछ नहीं पहनी थी. पापा मेरी कड़ी कड़ी चूचियों को मुट्ठी में भरकर दबा रहे थे साथ ही दोनों घुन्डियाँ को भी मसल रहे थे. मैं मस्ती से भरी मजे ले रही थी.

तभी पापा ने पूछा- क्यों बेटी तुमको अच्छा लग रहा है?
‘हाय पापा, बहुत मजा आ रहा है.’
‘इसी तरह कुछ देर बैठो, आज तुमको शादी वाला मजा देंगे. अब तुम जवान हो गई हो.’
‘हाय तुम लेने लायक हो गई हो. आज तुमको खूब मजा देंगे.’

‘आहह्ह्ह् ऊऊह्ह्ह्छ पापाआआ.’
‘जब मैं इस तरह से तुम्हारी चूचियों को दबाता हूँ तो तुमको कैसा लगता है?’

पापा मेरी कड़ी चूचियों को निचोड़कर बोले तो मैं उतावली हो बोली- हाय पापा, उह्ह ससीए इस तरह तो मुझे और भी अच्छा लगता है.’
‘जब तुम कपड़े उतारकर नंगी होकर मजा लोगी तो और ज्यादा मजा आएगा. हाय तुम्हारी चूचियाँ छोटी हैं.’
‘पापा मेरी चूचियाँ छोटी क्यों हैं. मम्मी की तो बड़ी हैं.’
‘घबराओ मत बेटी. तुम्हारी चूचियाँ को भी मम्मी की तरह बड़ी कर दूंगा.’

‘हाय बेटी कपड़े उतारकर नंगी होकर बैठो तो बड़ा मजा आएगा.’
‘पापा चड्डी भी उतार दूँ.’ मैं अनजान बनी थी.
‘हाँ बेटी चड्डी भी उतार दो.’
‘लड़कियों का असली मजा तो चड्डी में ही होता है.’

‘आज तुमको सारी बात बताएँगे. जब तक तुम्हारी शादी नहीं होती तब मैं ही तुमको शादी का मजा दूंगा. तुम्हारे साथ में ही सुहागरात मनाऊँगा.’
‘तुम्हारी चूचियाँ बहुत टाइट हैं.’
‘बेटी नंगी हो जाओ.’ पापा फ्रॉक के अन्दर हाथ डाल दोनों को दबाते बोले.

जब पापा ने मेरी चूचियाँ को मसलते हुए कपड़े उतारने को कहा तो यकीन हो गया कि आज पापा के लण्ड का मजा मिलेगा.

मैं उनके लण्ड को खाने की सोच गुदगुदा गई थी. मैं मम्मी की रंगीन चुदाई को याद करती कुर्सी से नीचे उतरी और कपड़े उतारने लगी. कपड़े उतार नंगी हो मम्मी की तरह ही पैर फैला कुर्सी पर बैठ गई. मेरी छोटी छोटी चूचियाँ तनी थी और मुझे जरा भी शरम नहीं लग रही थी.

मेरी जाँघों के बीच रोएंदार चूत पापा को साफ़ दिख रहे थे. पापा मेरी गदराई चूत को गौर से देख रहे थे. चूत का गुलाबी छेद मस्त था. पापा एक हाथ से मेरी गुलाबी कली को सहलाते बोले- हाय राम बेटी तुम्हारी चूत तो जवान हो गई है.

‘अरे बेटी तुम्हारी चूत.’ पापा ने चूत को दबाया. पापा के हाथ से चूत दबाये जाने पर मैं सनसना गई. मैं मस्ती से भरी अपनी चूत को देख रही थी.

तभी पापा ने अपने अंगूठे को क्रीम से चुपड़ मेरी चूत में डाला. वो मेरी चूत क्रीम से चिकनी कर रहे थे. अंगूठा जाते ही मेरा बदन गनगना गया. तभी पापा ने चूत से अंगूठा बाहर किया तो उस पर लगे चूत के रस को देख बोले- हाय बेटी यह क्या है, क्या किसी से चुदकर मजा लिया है?

मैं पापा के अनुभव से धक्क से रह गई. मैं घबराकर अनजान बनती बोली- कैसा मजा पापा?’
‘बेटी यहाँ कोई आया था?’
‘नहीं पापा यहाँ तो कोई नहीं आया था.’
‘तो फिर तुम्हारी चूत में यह गाढ़ा रस कैसा?’
‘मुझे क्या पता? पापा जब आप मेरी चूचियाँ मसल रहे थे तब कुछ गिरा था शायद.’ मैं बहाना बनाती बोली.
‘लगता है तुम्हारी चूत ने एक पानी छोड़ दिया है. लो तौलिया से साफ़ कर लो.’
पापा मुझे तौलिया दे चूचियों को मसलते हुए बोले.

पापा से तौलिया ले चूत को रगड़ रगड़कर साफ़ किया. पापा को उमेश वाली बात पता नहीं चलने दी. मैं चूचियाँ मसलवाते हुए पापा से खुलकर गन्दी बाते रही थी ताकि सभी कुछ जान सकूं.
‘बेटी जब तुम्हारी चूचियों को दबाता हूँ तो कैसा लगता है?’
‘हाय पापा, तब जन्नत जैसा मजा मिलता है.’
‘बेटी तुम्हारी चूत में भी कुछ होता है?’
‘हाँ पापा गुदगुदी हो रही है.’ मैं बेशर्म हो बोली.

‘जरा तुम्हारी चूचियाँ और दबा लूँ तो फिर तुम्हारी चूत को भी मजा दूँ.’
‘बेटी किसी को बताना नहीं.’
‘नहीं पापा बहुत मजा है, किसी को नहीं पता चलेगा.’

पापा मेरी चूचियों को मसलते रहे और मैं जन्नत का मजा लेती रही.
कुछ देर बाद मैं तड़प कर बोली- ऊओह्हछ पापा अब बंद करो चूचियाँ दबाना और अब अपनी बेटी की चूत का मजा लो.’

अब मैं भी पापा के साथ खुलकर बात कर रही थी. इस समय हम दोनों नहीं बाप-बेटी थे. पापा मेरी चूचियों को छोड़कर मेरे सामने आये. पापा का खड़ा लंड मोटा होकर मेरी आँखों के सामने फुदकने लगा.
लण्ड तो पापा का पहले भी देखा था पर इतनी पास से आज देख रही थी. मेरा मन उसे पकड़ने को ललचाया तो मैंने उसे पकड़ लिया और दबाने लगी. चूत पापा के मस्त लण्ड को देख कर लार टपकाने लगी.

मैं पापा के केले को पकड़कर बोली- शश पापा आपका लण्ड बहुत मोटा है. इतना मोटा मेरी चूत में कैसे जाएगा.’
‘अरे पगली मर्द का लण्ड ऐसा ही होता है. मोटे से ही तो मजा आता है.’
‘पर पापा मेरी चूत तो छोटी है.’
‘कोई बात नहीं बेटी. देखना पूरा जाएगा.’
‘पर पापा मेरी फ़ट जाएगी.’
‘अरे बेटी नहीं फटेगी. एक बार चुद जाओगी तो रोज चुदवाने के लिए तड़पोगी.’

‘अपने पैर फैलाकर चूत खोलो पहले अपनी बेटी की चूत चाट लूँ फिर चोदूँगा.’
मैं समझ गई कि पापा मम्मी की तरह मेरी चूत को चाटना चाहते हैं. मैंने जब मम्मी को चूत चटवाते देखा था तभी से तरस रही थी कि काश पापा मेरी चूत भी चाटे.
अब जब पापा ने चूत फैलाने के लिए दोनों हाथ से चूत की दरार को छेड़कर खोल दिया. पापा घुटने के बल नीचे बैठ गए और मेरी रोएंदार चूत पर अपने होंठ रख कर चूमने लगे.

पापा के चूमने पर मैं गनगना गई. दो चार बार चूमने के बाद पापा ने अपनी जीभ मेरी चूत के चारो ओर चलाते हुए चाटना शुरू किया. वो मेरे हलके हलके बाल भी चाट रहे थे. मुझे गज़ब का मजा आ रहा था.

पापा चूत चाटते हुए तीत (क्लिट) भी चाट रहे थे. मैं मस्त थी. उमेश तो बस जल्दी से चोदकर चला गया था. चूची भी नहीं दबाया था मजा नहीं आया था. लेकिन पापा तो चालाक खिलाड़ी की तरह पूरा मजा दे रहे थे. पापा ने चूत चाटकर गीला कर दिया था. अब पापा चूत की दरार में जीभ चला रहे थे.

कुछ देर तक इसी तरह करने के बाद पापा ने अपनी जीभ मेरी गुलाबी चूत के लस लसाए छेद में पेल दिया. जीभ छेद में गई तो मेरी हालत खराब हो गई. मैं मस्ती से तड़प उठी. पहली बार चूत चाटी जा रही थी. इतना मज़ा आया कि मैं नीचे से चूतड़ उछालने लगी. कुछ देर बाद पापा चाटकर अलग हुए और मेरी चूत पर लगे लण्ड से चूत रगड़ने लगे.

चूत की चटाई के बाद लण्ड की रगड़ाई ने मुझे पागल बना दिया और मैं उतावलेपन में पापा से बोली- पापा अब पेल भी दो मेरी चूत में, आहहहह ऊऊहहछ!!’

पापा ने मेरी तड़पती आवाज़ पर मेरी चूचियों को पकड़कर कमर को ऊठाकर धक्का मारा तो करारा शॉट लगने पर पापा का आधा लण्ड मेरी चूत में समा गया.

पापा का मोटा और लम्बा लण्ड मेरी छोटी चूत को ककड़ी की तरह चीरकर घुसा था. आधा जाते ही मैं दर्द से तड़पकर बोली- आआहहह ऊऊईई ममआमररर!! गई पापा. धीरे धीरे पापा बहुत मोटा है पापा चूत फटट गई.

पापा का मोटा और लम्बा लण्ड मेरी चूत में कसा था. मेरे कराहने पर पापा ने धक्के मारना बंदकर मेरी चूचियों को मसलना शुरू किया. अब मजा आने लगा. 6 -7 मिनट बाद दर्द ख़त्म हो गया.

अब पापा बिना रुके धक्के लगा रहे थे. धीरे धीरे पापा का पूरा लण्ड चूत की झिल्ली फाड़ता हुआ घुस गया. मैं दर्द से छटपटाने लगी. ऐसा लगा जैसे चूत में चाकू धंसा है.
मैं कमर झटकते बोली- हाय पापा मेरी चूत फ़टट गई. निकालो मुझे नहीं चुदवाना.’

पापा अपना लण्ड पेलते हुए मेरे गाल चाट रहे थे. पापा मेरे गाल चाट बोले- बेटी रो मत अब तो पूरा चला गया. हर लड़की को पहली बार दर्द होता है फिर मजा आता है.

कुछ देर बाद मेरा कराहना बंद हुआ तो पापा धीरे धीरे चोदने लगे. पापा का कसा कसा लण्ड आ जा रहा था. अब सच ही मजा आ रहा था. अब जब पापा ऊपर से धक्का लगाते तो मैं नीचे से गांड उछालती. उमेश तो केवल ऊपर से रगड़ कर चोदकर चला गया था. असली चुदाई तो पापा कर रहे थे.

पापा ने लण्ड पूरा अन्दर तक पेल दिया था. पापा का लण्ड उमेश से बहुत मजेदार था. जब पापा शॉट लगाते तो सुपाड़ा मेरी बच्चेदानी तक जाता. मुझे जन्नत के मजे से भी अधिक मजा मिल रहा था.

तभी पापा ने पूछा- बेटी, अब दर्द तो नहीं हो रही है.’
‘हाय पापा अब तो बहुत मजा आ रहा है. आहहहछ पापा और जोर जोर से चोदिये पापा.’

इसी तरह 20 मिनट बाद पापा के लण्ड से गरम गरम मलाईदार पानी मेरी चूत में गिरने लगा. जब पापा का पानी मेरी चूत में गिरा तो मैं पापा से चिपक गई और मेरी चूत भी फलफलाकर झड़ने लगी. हम दोनों साथ ही झड़ रहे थे.

पापा ने फिर मुझे रात भर चोदा.

सुबह 12 बजे सोकर उठे तो मैंने पापा से कहा- पापा आज फिर चोदेंगे?
‘अरे मेरी जान अब मैं बेटीचोद बन गया हूँ. अब तो रोज ही चोदूँगा.’
‘अब तू मेरी दूसरी बीवी है पर पापा जब मम्मी आ जाएंगी तो?’

‘मेरी जान उसे तो बस एक बार चोद दूंगा और वो ठंडी हो जाएगी फिर तेरे कमरे में आ जाया करूंगा.’
मैं फिर पापा के साथ रोज सुहागरात मनाने लगी

छोटी बहन को पापा से चुदवा दिया

 पापा को हम भाई बहन की चुदाई का शक हो गया था. हमने पापा को भी इस वासना के खेल में शामिल करने का सोचा. हम भाई बहन ने मिलकर रिश्तों में चुदाई का यह खेल कैसे खेला?

मैं पापा से चुद गयी

वीडियो

छोटी बहन को पापा से चुदवा दिया
नमस्कार दोस्तो, आपने मेरी पिछली दो कहानियाँ
छोटी बहन संग चोदा चादी-1
छोटी बहन संग चोदा चादी -2
में पढ़ा कि कैसे मैंने और मेरी छोटी बहन पूर्वी ने चुदाई की.

2 दिनों तक पूर्वी (छोटी बहन) और मैं चुदाई के चक्कर में पूर्वी की चूत की कली खिलने से जो खून निकला उस चादर को हम बदलना भूल गये और माँ पापा शादी से लौट आये।

चादर देख माँ बोली- चादर पर ये क्या लगा है?
तो पूर्वी तो सहम गयी.
पर मैंने कह दिया- माँ, वो कल रात लाल रंग गिर गया ड्राइंग करते समय।
तो माँ तो मान गयी.
पर पापा हमें शक की निगाहों से देख रहे थे।

खैर पापा और माँ थकान की वजह से वहां से चले गये।

जाते ही पूर्वी बोल पड़ी- पापा को शक हो रहा है भैया!
मैंने कहा- हाँ, मुझे भी पता है।
पूर्वी- तो अब क्या करें भैया?

फिर मैंने उसे समझाया कि पूर्वी अगर यूं ही पापा को शक रहा तो हम चुदाई नहीं कर पाएंगे, इसका सिर्फ एक ही हल है।
पूर्वी- क्या?
“अगर तू पापा को भी अपने इस जवान जिस्म का मजा चखा दे और अपनी चूत का उन्हें दीवाना बना दे तो काम बन जायेगा” मैंने कहा।
पूर्वी- भैया आप पागल हो, क्या कोई बेटी अपने बाप से चुदवाती है?

फिर मैंने उसे अन्तर्वासना और फ्री सेक्स कहानी साईट पर पर स्टोरी पढ़ने को कहा और कुछ बाप-बेटी पोर्न दिखाई।
तो वो बोली- रुको सोचने दो।

मैंने कहा- ठीक है, तू शाम तक बता.

तब तक मैं छोटा कैमरा ले आया और माँ पापा के कमरे में लगा दिया।

शाम को खाने के बाद माँ पापा सफर की थकन के कारण जल्दी ही सो गए.
और फिर मैं पूर्वी के पीछे रसोई में चला गया. वहां वो सिंक के पास खड़े होकर बर्तन साफ कर रही थी. उसने टॉप और लैगी पहना था और लैगी पीछे से अंदर तक उसकी गांड में घुस गयी थी जिससे मेरी बहन की गांड उभर के आ रही थी.

यह देखकर मेरा मन उसे चोदने को हुआ और मैंने उसे पीछे से जाकर कस के जकड़ लिया. वो भिंच गयी और कहा- मुझे काम करने दो!
पर मैंने अपना लण्ड उसकी गांड की गहराई तक घुसा दिया और पीछे से ही उसके दूध निचोड़ने लगा और पूछा- तो बहन तूने क्या सोचा है जो तुझे सुबह कहा था?
पूर्वी ने कहा- भैया आप सही थे, मुझे भी अब पापा का लण्ड चाहिए. उसे मैं चूस कर उसका रस पीना चाहती हूँ जैसे और बाकी लड़कियों को भी उनके पापा का लण्ड मिला है।

मैं समझ गया कि बाक़ी लड़कियां मतलब सुबह जो कहानी और पोर्न दी थी उसकी बात कर रही है।

मैंने कहा- हाँ मेरी छोटी बहन, मैं भाई होने के नाते तेरी सारी इच्छा पूरी करूँगा।
और मैंने उसकी लैगी और पैंटी घुटनों तक सरका दी और पीछे से ही उसकी चूत में लण्ड सेट किया और चुदाई करने लगा।

फिर थोड़ी देर बाद मैं झड़ने लगा तो पूर्वी से बताया.
तो वो बोली- नीचे मत गिराना!
और जल्दी से घूम कर नीचे झुक कर मेरी बहन ने लण्ड को मुंह में ले लिया. उसने नाजुक से कोमल होंठों से जैसे ही लण्ड पर सहलाया, मेरी तेज़ी से धार निकल पड़ी और उसने सारा पानी पी गयी।

मैंने पूर्वी से कहा- अब तू पापा को अपनी मटकती गांड दिखा और थोड़े ढीले ज्यादा गले के टॉप पहन के घूम घर में! पापा भी एक मर्द हैं, देखना उनके मन में भी बेटी के लिए वासना जरूर जागेगी।

कुछ दिन बाद, मैंने कैमरा निकाला. पूर्वी और मैंने हर रात की फुटेज देखी और जिसमे पापा ने एक बार भी माँ को नहीं चोदा, कई बार पापा ने कोशिश की पर माँ ने हाथ झटक दिया।

पूर्वी और मैं खुश हुए कि अब पापा को अब उनकी बेटी की चूत मिलेगी। फिर पूर्वी वहाँ से चली गयी और मैं दिन के समय की भी रिकॉर्ड हुई फुटेज देखने लगा.

तभी मेरी नज़र वीडियो में माँ पर पड़ी जो सिर्फ एक तौलिया लपेटकर बाथरूम से आ रही थी. दोस्तों ऐसा भरा पूरा बदन देखकर मेरा मन हिल गया.

मेरी माँ का फिगर 34 32 34 होगा मुझे पता नहीं, पर उनका रंग गोरा है बिल्कुल मेरी बहन के तरह या ये कहूँ कि मेरी माँ की चूत भी पूर्वी की तरह ही बिल्कुल गोरी होगी जिसमें चूतड़ों के बीच से गुलाबी रंग निखर रहा होगा।

मेरे मन में माँ के लिए वासना जाग उठी और सोचा घर में ही एक चूत और है और मैं फालतू में ही पूर्वी के लिए तरसता हूँ। मैं माँ को नँगी देखना चाहता था इसलिए मैंने इस बार बाथरूम में कैमरा लगा दिया।

फिर 2 दिन बाद मैंने कैमरे से फुटेज देखी. पर कैमरे में तो कुछ और ही रिकॉर्ड हुआ था मैंने तुरन्त पूर्वी को रिकॉर्डिंग दिखायी।
उसमें हम भाई बहन ने देखा कि पापा अपनी बेटी पूर्वी की उतारी हुई ब्रा और पैंटी को सूंघ रहे हैं और उससे अपना लण्ड रगड़ रहे हैं. फिर उन्होंने उसमें अपना सारा माल निकाल कर वहीं छोड़ दिया।

“अच्छा तो ये मलाई पापा की थी.” पूर्वी फुसफुसायी।
मैंने पूछा- मतलब?
पूर्वी- अरे भैया, मतलब मैंने देखा तो था अपनी पैंटी पर ये वीर्य! पर मुझे लगा कि ये आपने किया होगा इसलिए मैंने आपको नहीं बताया। पर भैया पापा का लण्ड देखो न … तुमसे बड़ा है मुझे उसे चूसना है।

मुझे थोड़ी जलन हुई और मैंने कहा दिया- चल जा यहां से अपना काम कर! बड़ी आयी पापा का लण्ड लेनी वाली।
पूर्वी मुस्कुरायी और चली गयी।

और मैंने जो असली काम के लिए कैमरा लगाया था वो फुटेज देखने लगा।

मैंने देखा माँ नंगी होकर ही नहाती है पर माँ की चूत में थोड़े बाल थे जिसे वो साफ़ कर रही थी. मुझे उन्हें वीडियो में नंगी देखकर बस ऐसा मन किया कि अभी रसोई में जाऊ और उनकी साड़ी उठाकर घोड़ी बनाकर चुदाई कर दूँ.

पर मैं ऐसा नहीं कर सकता था इसलिए बाथरूम में गया और मैंने उनका वीडियो देखकर उनकी अभी वाली धोने के लिए उतारी पैंटी को सूंघने और चाटने लगा.
मुझे वो खुशबू बहुत मादक लग रही थी और पैंटी से थोड़ा थोड़ा उनकी चूत का पानी का भी स्वाद आ रहा था.

दोस्तो, अगर आपने ऐसा नहीं किया है तो बस एक बार करके देखो.

मैं मुठ मारकर बाथरूम से बाहर आया और दोपहर का खाना खाते हुए माँ के बोबे और गांड ही देख रहा था।

यह बात मैंने पूर्वी को नहीं बतायी कि माँ को मैं चोदना चाहता हूँ. न जाने वो क्या सोचे।

फिर खाना खाते हुए पापा ने कहा- कल मेरी छट्टी है, चलो घूमने चलते हैं।
पर माँ बोली- नहीं, कल मैं कविता(माँ की सहेली) के साथ बाहर जा रही हूँ, शाम तक ही लौटूंगी।

मुझे मौका अच्छा लगा और मैंने भी कह दिया- कल मेरी भी एक्स्ट्रा क्लास है तो घूमना नहीं हो पायेगा।

तभी पूर्वी समझ गयी और मेरी तरफ देखकर मुस्कुरायी। शायद पूर्वी समझ गयी की कल ही उसे पापा का लण्ड मिलेगा।

फिर मैंने रात में पूर्वी को समझा दिया की कल माँ तो रहेगी नहीं, तुझे ब्रा और पैंटी नहीं पहनना है बस ऊपर एक पतली सी समीज पहन ले और नीचे नेट वाली ओढ़नी लपेट ले।
“ठीक है भैया!” पूर्वी ने शर्माकर कहा।

दूसरे दिन 12 बजे”
पापा हॉल में टीवी के सामने सोफे पर बैठे थे, उनका न्यूज़ देखने का समय यही था.
तभी मैंने पूर्वी को आवाज़ दी- पूर्वी, मैं जा रहा हूँ क्लास में! बाय!
और मैं चुपके से हाल वाली खिड़की पर चला गया।

तभी पूर्वी मुझे बाय बोलने हॉल में आयी और पापा ने उसकी तरफ देखा और देखते ही रह गये.
पापा ने अपनी नज़रें हटाई और टीवी ऑन किया.

पर मैंने टीवी पर बाप बेटी चुदाई हिंदी साउंड पर पोर्न लगा रखी थी जो फुल साउंड पर चलने लगी. उसमें आवाज आ रही थी- पापा मुझे चोदो और जोर जोर से चोदो, फाड़ डालो इस आपकी ही दी हुई अमानत को!

ऐसी आवाज़ पूरे कमरे में गूंजने लगी.

तभी पापा और पूर्वी दोनों टीवी बन्द करने झपटे. पर पूर्वी पापा के ऊपर गिर गयी जिससे उसकी ओढ़नी खुल गयी और पंखे की वजह से दूर उड़ गई।

पूर्वी पापा के ऊपर ऐसे ही नंगी पड़ी रही.

और अब तक पापा का 7 इंच लण्ड भी टनटना चुका था जो पैंट के अंदर से ही पूर्वी की चूत पर गड़ रहा था और इधर पोर्न टीवी पर आवाज़ के साथ चालू ही थी।
पापा ने पूर्वी से कहा- उठो।
पर पूर्वी ने पापा का लण्ड पकड़ते हुए बोला- ये गड़ रहा है।

पूर्वी के मुलायम हाथ पापा के लण्ड के ऊपर … पापा को एकदम भारी उत्तेजना हुई.
पापा ने उसे उठाया और अपनी पैंट खोल कर कच्छा नीचे करते हुए कहा- तुम्हें बेटी … ये चुभ रहा है. और इसे लण्ड कहते हैं।
पूर्वी ने आँखें बंद कर ली.

तभी पापा ने पूर्वी की समीज उतारकर उसे पूरी नंगी कर दिया और उसे हाथ पकड़कर सोफे बैठा दिया.
फिर पापा ने अपनी बेटी से कहा- देखो टीवी पर … जो हो रहा है, इसे सेक्स कहते हैं।
पूर्वी ने कहा- मुझे सब पता है पापा।

तो पापा खुश हो गए और बोले- चलो तो फिर!
और पूर्वी की दोनों टांगें उठाकर फैलायी और अपना लण्ड चूत पर सेट किया और पूर्वी को चोदने लगे।

बड़े लण्ड की वजह से पूर्वी चिल्ला रही थी. तब भी पापा नहीं रुके और चोदते रहे. फिर थोड़ी देर बाद मेरी रांड बहन उछल उछल कर चुदवाने लगी और कहने लगी- पापा, मुझे आपका लण्ड चूसना है प्लीज।
पापा ने अपना लण्ड बेटी की चूत से निकाला और उसके मुंह में दे दिया।

पूर्वी बहुत मज़े से चूस रही थी, पूरा लण्ड मुंह में ले रही थी।

कुछ देर बाद पापा बोले- हट, मुझे झड़ना है.
तो मेरी रंडी बहन ने कहा- मुझे पिलाओगे नहीं क्या पापा?
पापा मुस्कुरा दिये और कहा- ठीक है.
और अपनी बेटी पूर्वी के मुंह में सारा माल दे दिया और पूर्वी पूरा चाट चाट कर पी गयी।

शायद पूर्वी को मुठ पीने में मज़ा आने लगा है।

तभी उनके बीच दूसरा राउंड शुरू हुआ.

पापा अपनी बेटी पूर्वी को चोद ही रहे थे कि मैं वहां हाल में चला गया जहां बाप बेटी की चोदन क्रिया चल रही थी।

पापा मुझे देखकर चौंक गये और पूर्वी को भी अंदाज़ा नहीं था। पापा ने कहा- बेटा, तुम जल्दी आ गये?
यही सही मौका था मैंने पूछ ही लिया- आप अपनी बेटी को चोद रहे हैं? माँ को चोदने को नहीं मिलता क्या?

पापा ने कहा- बेटा, मैं तेरी माँ को बिना कंडोम के चोदना चाहता हूँ पर तेरी माँ कहती है कंडोम लगाओ. इसी अनबन के बीच में तेरी माँ को चोद नहीं पा रहा।

फिर पापा मुझे सॉरी सॉरी कहने लगे।

तभी पूर्वी आगे आयी और बनकर कहा- भैया अगर आप भी मुझे चोदना चाहते हो तो चोद लो. पर माँ को मत बताना।

फिर क्या था, मैंने पैंट उतारी और अपनी बहन की चुदाई ज़ोर ज़ोर से करने लगा. आखिर इतने देर से देखने के बाद मुझसे रहा नहीं जा रहा था।

मेरे और पूर्वी के झड़ने के बाद हमने रेस्ट लिया।

पर पापा कहाँ मानने वाले थे, वो पूर्वी के बदन का हर हिस्सा चूम रहे थे बोबे, चूत, गर्दन गांड कलाई पेट सब कुछ।
फिर मैंने पापा से कहा- हम साथ में चोदें?
पूर्वी डर गयी- नहीं बाबा!
वो नहीं नहीं करने लगी।

पर पापा ने समझाया कि बेटी बस थोड़ा सा दर्द होगा, फिर मज़े ही मज़े।

तो मैं लेट गया. मेरे ऊपर पूर्वी आ गयी. मैंने उसकी चूत में अपना लण्ड घुसेड़ दिया.
अब बारी पापा की थी, पापा ने तेल डाला पहले बेटी की गांड में … फिर अपने लण्ड में लगाया।

मैंने पूर्वी के होंठों को अपने मुंह में भर लिया ताकि वो चिल्लाये न!
फिर पापा ने अपनी बेटी की गांड में धीरे धीरे लंड डालना शुरू किया।
पूर्वी छटपटाने लगी.

पर पापा ने अपना आधा लण्ड अंदर डाल दिया और हम थोड़ी देर रुक गए।
पूर्वी की आँखों में आँसू थे.

फिर जब हम नॉर्मल हुए तो पापा ने एक झटके और दिया और पूरा लण्ड अंदर कर दिया.
इस बार पूर्वी चीख पड़ी- मार डाला रे दोनों बाप बेटे ने मिल कर।

फिर कुछ देर बाद मेरी बहन नार्मल हुई और हमने खूब चुदाई की. पूर्वी बहुत थक गयी और वो कमरे में चली गयी और सो गई।

माँ आयी शाम को 6 बजे।
“पूर्वी कहाँ है?” माँ ने पूछा।
“उसकी तबीयत खराब है, खाना उसको कमरे में दे दूंगा आज मैं!” पापा ने कहा।

रात को खाना खाने के बाद माँ सोने चली गयी।

मैं और पापा बाहर टहल रहे थे. तभी अचानक पापा बोल पड़े- मैं पूर्वी के रूम में जा रहा हूँ, तू तेरी माँ पर नज़र रख।
मैं बोला- मैं उन्हीं के साथ सो जाता हूं. अगर माँ उठी तो मैं तुरंत आपको काल कर दूंगा।
पापा बोले- ठीक है.
और चले गए.

पर मेरा प्लान तो कुछ और ही था दोस्तो!
तो आगे क्या हुआ? अगले भाग में बताऊंगा। मेरी बाप बेटी चुदाई की कहानी कैसी लगी आपको? कमेन्ट करें.

छोटी बहन संग चोदा चादी-2

 मैंने छोटी बहन को चोदा … कैसे? पढ़ें इस कहानी में! हम भाई बहन अकेले थे घर में … हम मजाक में एक दूसरे के सामने नंगे हो चुके थे. बात आगे बढ़ी और …

आपने मेरी इस सेक्स कहानी के पहले भाग
छोटी बहन संग चोदा-चादी-1
में अब तक पढ़ा कि घर में हम दोनों भाई बहन ही अकेले थे. हम दोनों ने बचपन की तरह जवानी में भी एक दूसरे के सामने नंगा होकर देखने का खेल शुरू कर दिया था.

मेरा मन अपनी बहन के मस्त चूचों को दबाने और मसलने का कर रहा था. लेकिन मैं उसके साथ कुछ भी ऐसा नहीं करना चाहता था, जिससे वो गुस्सा हो जाए.

अब आगे:

मैंने उससे कहा- अगर तुमने ये लंड देख लिया हो, तो क्या मैं तुम्हारी चुत देख लूं?
उसने पैर खोलते हुए कहा- दिख तो रही है.
मैंने कहा- ऐसे नहीं पगली … अभी अच्छे से नहीं दिख रही है.
उसने नशीली आवाज में कहा- ठीक है … जैसे देखना हो आप देख लो.
मैंने कहा- अपनी टांगें ऊपर करके लेट जाओ.

वो झट से चूत खोल कर लेट गयी. उसकी नाज़ुक सी छोटी चुत मेरे सामने पूरी खुल गयी.

अब मैं अपनी उंगलियों को उसकी चुत पर फिराने लगा और वो वासना से भरी हुई सिसकारियां लेने लगी.

मैंने पूछा- क्या हुआ?
पूर्वी बोली- मेरे बदन में हल्की सी गुदगुदी हो रही है.
मैंने कहा- हां यार … मुझे भी ऐसा ही हो रहा है.

ये कहते हुए मैंने अपनी एक उंगली उसकी चुत पर फेरते हुए धीरे से अन्दर डाल दी और आगे पीछे करके टटोलने लगा.

शायद वो अपनी चुत में उंगली करती थी इसलिए उसे मेरी उंगली से कोई दिक्कत नहीं हुई, बल्कि उसे मजा आने लगा. उसकी चुत ने लिसलिसा सा पानी छोड़ दिया था. चिकनी चुत में मेरी उंगलियों की रगड़न ने उसे मजा दे दिया और वो आहें भरने लगी.

मैंने उंगली तेज चलाना शुरू की, तो कहने लगी- भैया, आप अपनी प्लीज उंगली निकाल लो … मुझे कुछ कुछ हो रहा है.

मैंने उंगलियों को बाहर निकाल लिया. मुझे तो उसकी नाज़ुक सी छोटे से छेद वाली चुत को मुँह में भरके चूसने का बहुत मन कर रहा था. मैं उसकी इस अनछुई चुत का रस पीना चाहता था.

मैंने उससे अपने दिल की बात कही … पर उसने मना कर दिया, तो मैं वहां से हट गया. अब मैं उसकी बाजू में जाकर ऐसे नंगे ही बैठ गया.

उसने कहा- चलो भैया, हम ऐसे ही एक सेल्फी लेते हैं.
मैंने कहा- हां … ये अच्छा आईडिया है.

मैंने अपना मोबाइल का कैमरा ओपन करके उसे दे दिया और फिर साइड से उसे कसकर एक हाथ से उसकी कमर को पकड़ कर सेक्सी सा पोज़ दिया. फिर दूसरा पोज़ लेने के लिए मैंने उसे पीछे से पकड़ लिया. अपनी मुंडी उसकी गर्दन में रखकर उसके गोरे गालों को अपने गालों से सटा दिया. उसका एक हाथ मेरे गाल पर था … इससे बहन की नंगी गांड पर मेरा खड़ा लंड जाकर छिप गया था. उसे लंड चुभ रहा था. उसने फोटो निकाली और अपनी गांड को मेरे लंड पर घिसने लगी.

अब मैंने पीछे से ही उसके चूचों को अपने हाथों में भरा और दबाने लगा.

वो ‘आह … भैया भैया..’ बोलकर चुदासी सिसकारियां लेने लगी.
उसने कहा- भैया, ये सब ठीक नहीं है.

मैंने उसे अपनी तरफ घुमाया और आंखों में देखकर बोला- मेरी प्यारी छोटी बहन की कम से कम हम एक दूसरे को ऊपर से तो मज़े दे सकते है न. तुम मेरा चूस कर झड़ा दो, मैं तुम्हें झड़ा दूंगा. वैसे भी ये तो हम हफ्ते में एक बार खुद से करते ही हैं. आज हम एक दूसरे से कर लेते हैं.

वो मेरी बात मान गयी और उसने कहा- ठीक है. बस हम एक दूसरे का हस्तमैथुन ही किया करेंगे … ठीक है.
मैंने भी हां कहा … और उसे पोजीशन में आने के लिए कहा.

वो नीचे झुक गयी. वो पहली बार लंड चूस रही थी, इसलिए ऊपर ही ऊपर से चूम रही थी.
मैंने कहा- इसे पूरा अपने मुँह में लो, तभी तो मज़ा आएगा.

उसने धीरे धीरे थोड़ा थोड़ा करके पूरा 6 इंच का लंड अपने मुँह में ले लिया और फिर जल्द ही बाहर निकाल दिया.
मैंने पूछा- क्या हुआ?
उसने कहा- कुछ नहीं.

उसने वापिस लंड मुँह में भर लिया और धीरे धीरे आगे पीछे करने लगी. थोड़ी ही देर बाद वो मेरे लंड को ऐसे चूसने लगी, मानो उसकी सालों से प्रैक्टिस हो.

फिर मैंने कहा- रुको … अगर मैं झड़ गया तो मुझे तुम्हारी चुत चूसने में उतना मज़ा नहीं आएगा. चलो हम 69 की पोजीशन ले लेते हैं.
वो शायद यही चाहती थी. उसने कहा- ये आपने सही कहा भैया.

फिर हम दोनों बिस्तर पर 69 में आ गए. अब वो मेरा लंड चूस रही थी और मैं उसकी नाज़ुक सी कोमल चुत में अपनी जीभ चला रहा था. मैं उसकी चुत के छोटे से दाने को दांतों से हल्का सा काट भी रहा था और बार बार अपनी उंगलियों से चुत की पंखुड़ियों को फैला कर गुलाबी रसीली चुत को देख भी रहा था.

आखिर वो मेरी छोटी बहन की चूत थी. मैं अपनी बहन की चुत के काफी अन्दर तक अपनी जीभ ले जा रहा था.

वो बहुत देर से लंड चूस रही थी, इसलिए मैं झड़ने वाला हो गया था. मैंने कहा- मैं झड़ रहा हूँ.
उसने तुरंत अपने मुँह से मेरा लंड निकाल दिया क्योंकि वो मेरा मुठ पीना नहीं चाहती थी.

अगर आपकी बहन आपसे कुछ इंकार भी करे, तो मान लेना क्योंकि उन्हें इन सबकी आदत नहीं होती है. पर मुझे पता था, अगर मैंने बहन को चोदा, तो उसे आदत हो जाएगी.

अब मैं उसकी चुत लगातार चूसे जा रहा था. तभी उसने अपने बदन को ऐंठ लिया और झड़ने लगी. मैं अपनी बहन की चूत का रस पीने लगा. उसकी चुत से निकलने वाला उसका कोरा कामरस पीने का मज़ा ही अलग था. ऐसा लग रहा था मानो मुझे अमृत मिल गया हो. पूर्वी की चुत का रस स्वादिष्ट भी इसलिए था क्योंकि ये अभी उसकी नई जवानी का रस था.

फिर थोड़ी ही देर में पूर्वी पूरी तरह से स्खलित हो गयी.

दोस्तो, अगर आप भी अपना मुठ अपनी बहन को पिलाना चाहते हैं, तो इसी चीज़ से लड़कियों को भी मज़ा आता है कि उनकी चुत का रस भी कोई पिए. मैंने भी ऐसा ही किया था, मैं उसकी चुत से निकला सारा माल पी गया था.

कुछ देर बाद वो कपड़े पहनने लगी, तो मैंने कहा- अरे रात को यहां कौन आ रहा है … चल हम बिना कपड़ों के ही सो जाते हैं. फिर आज गर्मी भी ज्यादा है.
उसने हंसते हुए कहा- हां भैया आप सही कह रहे हो, चलो रात हो गयी है. हम अब सो जाते हैं … सुबह जल्दी उठना है.

हमने लाइट ऑफ की और एक चादर लेकर सो गए. गर्मी थी लेकिन चादर ओढ़ने की आदत होने की वजह से चादर ओढ़ ली थी.

इतना सब हो जाने के बाद अब मुझे नींद कहां आने वाली थी. सच्ची बात तो ये भी थी कि पूर्वी को भी अब नींद नहीं आ रही थी.

ये मैंने जान लिया था … क्योंकि सोते वक़्त वो हिल डुल रही थी. वो सिर्फ आंख बंद करके सोयी थी. मैं समझ गया था कि ये सिर्फ सोने का नाटक कर रही है.

थोड़ी देर बाद मेरा लंड फिर से खड़ा होने लगा. मुझे पक्का यकीन था कि पूर्वी की भी चुत से पानी आ रहा है. मैंने सोने का नाटक करते हुए उसके पेट पर अपना हाथ रख दिया और सहलाने लगा.
मैंने धीमे से कहा- पूर्वी तुम सो गई क्या?
उसने मेरी तरफ करवट लेते हुए कहा- नहीं भैया, नींद ही नहीं आ रही.

मैंने कहा- तुम मेरे पास मेरे सीने से लगकर सो जाओ, तुम्हें नींद आ जाएगी.
उसने कहा- भैया, पर आपका लंड मुझे चुभेगा ना.
मैंने कहा- बहन हम दोनों एक दूसरे की ज़रूरत पूरी कर सकते हैं, पर हम ऐसा नहीं कर रहे हैं … ऐसा क्यों?
उसने कहा- क्योंकि भैया … हम भाई बहन हैं और हम …

बस इतना कहकर वो रुक गयी, तो मैं उसके करीब सरक गया और उसे सीने से लगाकर कहा- क्या भाई बहन का ये रिश्ता, वासना के आगे जीत गया कि हम एक दूसरे की ज़रूरत ही नहीं पूरी कर सकते?

उसने कहा- हां भैया आप सच कह रहे हैं … हम भाई बहन तो बाद में हैं, पर पहले आप एक लड़के हो और मैं एक लड़की हूँ. यदि हम एक दूसरे की जरूरत पूरी करेंगे, तो शायद इससे हम दोनों भाई बहन का प्यार ही बढ़ेगा.

बस फिर क्या था … इतना सुनते ही मैंने उसके बदन को कसकर जकड़ लिया और उसके होंठों में अपने होंठ डालकर उसे किस करने लगा. वो भी मेरे होंठों को बेइंतेहा चूस रही थी.

मैंने चादर हटा कर नीचे गिरा दी और उसके ऊपर चढ़ गया. किस करने के बाद में उसके बदन को हर जगह से चूमने लगा था. मैं उसके एक बूब को हाथों में भरकर और दूसरे को मुँह में लेकर चूसने लगा. वो अपने हाथों से मेरे लंड से खेलने लगी. फिर थोड़ी देर बाद मैंने उसकी टांगों को ऊपर उठाया.

हम दोनों का ये पहली बार बहन को चोद रहा था, इसलिए मैंने उससे कहा- तुम अपने नीचे तकिया रख लो.

उसने अपनी गांड के नीचे तकिया लगा लिया, इससे उसकी चुत और ऊपर उठ कर आ गयी.

मैंने अपने लंड को पहले पूरी चुत पर से सहलाया, तो उसने गांड उठाते हुए कहा- भैया अब सब्र नहीं होता … जल्दी से अन्दर डाल दो … अब देर न करो … अपना लंड चुत के अन्दर पेलो.

मैंने अपने लंड के सुपारे को चुत पर रखा और एक झटका दे दिया, पर मेरा लंड फिसल कर साइड में चला गया. क्योंकि मेरा पहली बार था, तो मुझे भी कुछ ज्यादा पता नहीं था.

मैंने अपने लंड पर थोड़ा था थूक लगाया और पूर्वी ने लंड पकड़ कर अपनी चुत पर रखा. ने एक झटका दिया और मेरा सुपारा चुत में चला गया.

पूर्वी के मुँह से ‘उई भैय्या … मर गई..’ की चीख निकल पड़ी.
मैं उसकी चीख सुनते ही रुक गया.

मैंने एक पल रुकने के बाद दुबारा से झटका दे दिया. इस बार मेरा पूरा लंड पूर्वी की चुत में घुसता चला गया.
वो दर्द से कराहने लगी और कहने लगी- आह … भैया निकालो इसे … प्लीज भैया …

पर मुझे पता था कि बस थोड़ी ही देर दर्द होगा. मैं उसके ऊपर ऐसे ही लेटा रहा और उसे किस करने लगा, ताकि वो नीचे का दर्द भूल जाए. उसकी चुत से खून निकल रहा था.

थोड़ी देर बाद वो नार्मल हो गयी और मैंने लंड को आगे पीछे करना शुरू कर दिया. फिर तेज़ तेज़ झटके मारने लगा.
वो मचलने लगी- उफ्फ्फ … उम्म्ह … अहह … हय … ओह …

मैंने उसकी एक टांग को अपने कंधे पर रखा और लगातार झटके देने लगा.
वो मस्त से चूत चुदाई का मजा लेने लगी.

थोड़ी देर बाद हम दोनों झड़ गए. उस रात मैंने अलग अलग पोजीशन में अपनी छोटी बहन को चोदा.

सारी रात बहन को चोद चोद कर कब गुजर गई, कुछ पता ही नहीं चला. सुबह नाश्ता करके हम सो गए. दिन भर चुदाई की थकान में हम दोनों यूं ही पड़े रहे.

देर शाम को हम दोनों उठे और खाना आदि खाया. इस दूसरी रात को भी मैंने अपनी बहन को चोदा … खूब चोदा.

इस चोदा चोदी के चक्कर में हम वो खून वाली चादर साफ़ ही नहीं कर पाए और अगले दिन माँ पापा आ गए.

उसके बाद क्या हुआ आपको अगली कहानी : छोटी बहन को पापा से चुदवाया

छोटी बहन संग चोदा चादी-1

 ये मेरी और मेरी छोटी बहन की चोदा चोदी कहानी है कि कैसे मैंने अपनी छोटी बहन को चोदा और साथ ही उसे भी उतना ही मज़ा आया जितना मुझे आया था.

दोस्तो … मेरा नाम अजय है, मैं ग्वालियर का रहने वाला हूँ. मेरे घर में हम चार लोग रहते हैं. मैं 20 साल का, मेरी छोटी बहन 18 साल, माँ और पापा.

आज जो मैं आप लोगों के साथ शेयर करने वाला हूँ, वो सिर्फ एक कहानी नहीं है. ये एक ऐसा सच है, जो मेरे साथ हुआ है … और दोस्तो, यकीन मानियेगा कि ये मेरी जिंदगी का सबसे हसीन समय रहा.

ये मेरी और मेरी छोटी बहन पूर्वी की कहानी है कि कैसे मैंने अपनी छोटी बहन को चोदा और साथ ही उसे भी उतना ही मज़ा आया जितना मुझे आया था.

आप यही सोच रहे होंगे कि मैं कैसा भाई हूँ कि अपनी ही बहन के साथ चोदा चोदी का खेल खेल लिया. पर ये कुछ गलत नहीं हुआ था. बल्कि दुनिया में बहुत सारे लोग अपनी माँ और बहन के साथ चोदा चोदी करते हैं. क्योंकि हमारे जीवन में शारीरिक सुख का होना बहुत जरूरी है. हर इंसान यही सुख भोगना चाहता है. फिर चाहे वो हमारे परिवार के लोग ही क्यों न हो.

जरा सोचिए कि जब आप अपने घर में ही अपनी शारिरिक इच्छाएं पूरी कर सकते हैं, तो फिर बाहर किसी गैर के साथ क्यों सम्बन्ध बनाना.

मेरी बहन पूर्वी एक भरे पूरे गोरे बदन की है. उसका जिस्म एकदम मलाई सा कोमल है. उसके स्तन किसी छोटे और ताज़े संतरे की तरह बिल्कुल कड़क और गोल हैं. उसके कूल्हों में जवानी का थोड़ा सा उभार और लचकती हुई पतली कमर उसे मानो कामुकता की देवी बना देता है.

जिस उम्र में मैं था, उसमें मुझे चुत मारने का नशा सा होने लगा था. मुझे चोदा चोदी करने का बहुत मन करता था, पर मैं अपनी बहन के बारे में ऐसा नहीं सोचता था.

जब कुछ दिन बाद मैंने किसी से सुना कि अपनी बहन को चोदा भी जा सकता है. तो मैंने इस सम्भावना पर विचार किया कि इसमें बुराई ही क्या है. आखिर इससे एक भाई और बहन के बीच प्यार ही बढ़ेगा. आखिरकार पूर्वी भी जवानी पर है … उसे भी लंड की जरूरत होगी और उसके लिए वो कहीं बाहर क्यों जाए, जब घर पर मेरा लंड उपलब्ध है. क्या एक भाई अपनी बहन की इच्छा पूरी नहीं कर सकता.

फिर मैंने घर पर पूर्वी को देखा. उसका गोरा कामुक बदन मुझे बहुत अच्छा लगने लगा.

जब वो मेरे पास आती, तो उसके बदन की खुशबू मेरे सांसों में बैठने लगती. फर्श पर नीचे झुक कर झाड़ू लगाते वक़्त ढीली कुर्ती के अन्दर उसके स्तनों का गोरा गोरा उभार दिखने से मुझे मानो आग सी लगने लगी थी. उसके मक्खन से दो चूचों के बीच की लकीर मेरे मन में समाने लगी.

अब मैं अपनी बहन को रोज इस नजर से देखने लगा.

जब वो बाथरूम से नहाकर बाहर आती, तो सिर्फ कुर्ती पहने रहती. उसकी जांघों का वो दूध सा सफ़ेद गोरापन और मुलायम जांघों का अहसास बिना छुए ही मुझे वासना के भंवर में डाल देती.

फिर जब वो नहाने के बाद सलवार पहनने अन्दर रूम में जाती, तो कभी मौक़ा पाते ही मैं भी उसके पीछे पीछे चला जाता. मैं उसी कमरे में आइना के सामने तैयार होने का नाटक करता और पीछे से आइने में उसे सलवार पहनते हुए देखता.

पर मुश्किल यह थी कि क्या पूर्वी भी मेरे साथ चोदा चोदी के खेल में शामिल हो सकेगी?

लेकिन जैसा मैंने आपसे पहले भी कहा कि आखिर वो भी इंसान है. उसके पास भी चुत है और उसे भी लंड चाहिए. ये सोचते हुए मैं अपने मन को पक्का करने लगा था कि बहन की चुत जरूर मिल जाएगी.

फिर आखिर वो समय आ ही गया. मेरे एग्जाम चल रहे थे और पापा और माँ को किसी रिश्तेदार की शादी में दूर जाना था. पूर्वी मेरी देखरेख के लिए रुक गयी क्योंकि मेरे एग्जाम थे.

मैंने सुबह माँ पापा को ट्रेन में बैठाया और घर आ गया. अब दो रातों के लिए हम अकेले थे, पर मुझे काम आज रात को ही करना था.

रात को खाना खाकर में पढ़ने लगा और पूर्वी भी मेरे साथ बैठ गयी.

जब हम दोनों को पढ़ते हुए काफी देर हो गयी, तो पूर्वी से मैंने पूछा- तुम्हारा कोई ब्वॉयफ्रेंड है?
उसने शर्माते हुए कहा- नहीं भैया … अभी कोई अच्छा मिला ही नहीं.
मैं चुप होकर उसको देखने लगा.

अब उसने पूछा- भैया आपकी कोई गर्लफ्रेंड है?
मैंने कहा- मुझे भी ऐसी कोई मिली ही नहीं, जो तुम्हारी ही तरह खूबसूरत हो.
पूर्वी ने शर्माते हुए कहा- क्या भैया आप भी!

मैंने उसकी खूबसूरती की तारीफ़ करते हुए कहा- ये सच है कि बहुत ही खूबसूरत हो.
उसने मेरी तरफ देख कर मुस्कुराते हुए पूछा- क्या सच में मैं खूबसूरत हूँ.
मैंने उसकी गोद में अपना सर रखकर उससे कहा- हां पूर्वी तुम हजारों में एक हो.

ऐसा कहते हुए मैं उसकी गोद में ही अपना सर ठीक से जमा कर किताब पढ़ने लगा. वो भी मुझे बड़े अच्छे से देख रही थी.

थोड़ी देर बाद उसे नींद आने लगी, तो वो ऊंघने सी लगी.
मैंने उससे कहा- यदि तुमको नींद आ रही है, तो तुम मेरी गोदी में अपना सर रखकर सो जाओ.
वो झट से मान गई और मेरी गोद में सर रख कर सो गई.

उसका मुलायम सा बदन मेरी रूह को तड़पा रहा था.

इससे पहले भी बहुत बार हम एक दूसरे की गोदी में सर रखकर सोये हैं, पर आज कुछ बात ही अलग थी. माँ और पापा का न होना, मेरे मन में उथल-पुथल मचा रहा था.

उसका खिलती हुई कली सा बदन, मेरे लंड को कठोर बना रहा था. मेरे फूलते हुए लंड से उसको शायद लंड खड़े होने का अहसास होने लगा था.

जब उसे लंड चुभने लगा, तो उसकी कच्ची नींद से आंख खुल गई. उसने पूरी तरह से अपनी आंखें खोलीं और वो उठ गई.
वो मेरे लंड की तरफ देखते हुए बोली- भैया, मुझे कुछ चुभ रहा है.
मेरा लंड पजामे में से अलग ही तंबू सा दिख रहा था.

दोस्तो आपको तो पता ही है कि इस उम्र में चोदा चोदी के बारे में तो सबको सब कुछ पता हो जाता है.
मैं समझ गया कि पूर्वी मेरे खड़े होते हुए लंड को देख रही थी.

मैंने पूर्वी से कहा- सॉरी पूर्वी … ये पता नहीं … रात में अपने आप ऐसा तन जाता है.
उसने कहा- हां भैया ऐसा होता है … आप अब कोई गर्लफ्रेंड बना लो.

अब तक मैं अपनी किताब अलग रख चुका था. मैंने कहा- ठीक है मैं कोशिश करता हूँ … अच्छा पूर्वी, मैं एक बात कहूँ?
पूर्वी ने कहा- हां भैया … बोलो ना!
“हम दोनों बचपन में साथ ही नंगे नहाते थे ना!”

उसने कहा- हां भैया … सच में कितना मज़ा आता था, जब मम्मी हम दोनों को एक साथ नहलाती थीं.
मैंने कहा- फिर हम एक दूसरे की मूतने वाली जगह देखते थे और सोचते थे … ये हम दोनों की अलग अलग क्यों है.
इस बात पर हम दोनों हंस पड़े.

फिर पूर्वी ने शरमाते हुए कहा- हां भैया बड़ा मजा आता था.
अब तक पूर्वी भी खुल चुकी थी.

मैंने आगे बढ़ते हुए कहा- चलो आज एक बार फिर हम दोनों बचपन की तरह एक दूसरे को नंगा देखते हैं.
वो इस बात पर चौंक गयी और उसने अपनी आंखें नीचे कर लीं.

उसने मुझसे कहा- भैया … पर हम तो अब बड़े हो चुके है न, क्या ये सब ठीक रहेगा?
मैंने कहा- तो क्या हो गया कि हम बड़े हो गए. आखिर हम भाई बहन तो अभी भी है न … और मैं तो सिर्फ एक दूसरे को नंगा देखने को कह रहा हूं … कोई सेक्स के लिए थोड़ी कह रहा हूँ पागल.

इस बात पर वो हंस दी और उसने अपनी आंखें बड़ी कर लीं.

मैंने कहा- अगर तुम्हें नहीं दिखाना, तो ठीक है … चलो सो जाओ.
उसने कहा- नहीं भैया … ऐसी बात नहीं है और वैसे भी हम भाई बहन के बीच आखिर शर्म कैसी.
मैंने कहा- बिल्कुल ठीक कहा तुमने.
वो बोली- तो नहाने की क्या जरूरत है, वो तो हम दोनों इधर ही एक दूसरे को समझ सकते हैं.

ये सुनते ही मैं समझ गया कि इसकी चुत में भी आग लगने लगी है. मैंने पहल करते हुए उसकी कुर्ती को उतार दिया.

उसने कुछ भी नहीं कहा, बल्कि कुर्ती उतारने में मुझे सहयोग किया. उसका मन देख कर मैं उसकी ब्रा खोलने लगा.
वो बोली- भैया, आप पहले अपने कपड़े उतारो.

मैंने जल्दी से अपने सारे कपड़े उतार दिए और सिर्फ चड्डी में बैठ गया.

अब तक उसने भी अपना लोअर उतार दिया था. वो भी मेरे सामने सिर्फ ब्रा और पेंटी में आ गयी थी.

फिर उसने कहा- भैया अब मुझे शर्म आ रही है.
मैंने कहा- हां यार मुझे भी.
उसने कहा- भैया हम एक काम करते हैं … हम दोनों अपनी आंखें बंद कर लेते हैं.

उसकी बात सुनते ही मैं राजी हो गया. अब हम दोनों ने आंखें बंद कर लीं और मैंने हाथ बढ़ा कर उसकी ब्रा और पेंटी को उतार दिया.

जब उसका हाथ मेरी चड्डी उतारने में आया, तो मेरा लंड उससे टच हो गया.

वो बोली- भैया आपका ये कहीं मुझे देखकर तो खड़ा नहीं हो गया है.
मैंने कहा- नहीं … ये तो नेचुरल है कि किसी भी पुरुष का किसी महिला को नंगी देखकर अपने आप खड़ा हो जाता है. इसे थोड़ी पता है कि तुम मेरी बहन हो.
हम दोनों इस बात पर फिर हंस दिए.

पूर्वी ने कहा- चलो भैया अब हम अपनी आंखें खोल लेते हैं.
हमने एक साथ आंखें खोल दीं. अब हम बचपन की तरह वापस एक दूसरे के सामने नंगे बैठे थे.

मैंने कहा- तुम तो बहुत कामुक लग रही हो … तुम्हारी जिससे शादी होगी, वो बहुत खुशनसीब होगा.

उसकी नजरें सिर्फ मेरे 6 इंच के खड़े लंड पर ही टिकी थीं और वो उसे बड़े ध्यान से देख रही थी. जबकि मैं उसे पूरा ऊपर से नीचे तक … बल्कि उसकी कोमल छोटी सी चुत को भी देख रहा था.

तभी हम एक साथ बोल पड़े- तुमने भी शेव किया है.
एक साथ बोलने की वजह से हम दोनों हंस दिए … क्योंकि उसकी चुत पर एक भी बाल नहीं था और मैं तो खुद मेरे लंड की शेव करते रहता हूं.

पूर्वी ने हिचकिचाते हुए कहा- भैया, क्या मैं इसे छू सकती हूं.
मैंने कहा- ये भी कोई पूछने की बात है … देख ले, जो तुझे देखना है.

वो मेरे लंड को उसके सुपारे को आगे पीछे करके ध्यान से देखने लगी. मैं भी उसके स्तन दबाने लगा.
वो बोली- भैया इसे छुओ … पर प्लीज दबाओ नहीं.
मैंने कहा- ठीक है.

उसके गोरे गोरे स्तनों के ऊपर वो छोटे से काले निप्पल क्या मस्त लग रहे थे. मैंने जितना सोचा था, मेरी बहन के मम्मे उससे कहीं ज्यादा मुलायम थे.

मेरा मन उसके मम्मों को ज़ोरों से दबाने और मुँह में लेकर चूसने को कर रहा था. पर मैंने जबरदस्ती नहीं की, क्योंकि वो फिर नाराज़ भी हो सकती थी.
मुझे उसे यकीन दिलाना था कि मैं उसे एक बहन की तरह कितना प्यार करता हूँ.

मेरी इस चोदा चोदी सेक्स कहानी का अगला भाग आपको लंड हिलाने पर मजबूर कर देगा और लड़कियों की चुत में से पानी निकलने लगेगा. आप मेरी इस सेक्स कहानी पर कमेंट्स कर सकते हैं.

कहानी का अगला भाग: छोटी बहन संग चोदा चादी -2

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